Thursday 4 March 2010

वर मांगो......तात

इस बात की कोई निश्चितता नहीं है कि जो मांगोगे वो मिल ही जायेगा. परन्तु फिर भी माँगना महत्त्वपूर्ण है. इसलिए कि बिना रोये माता को भी पता नहीं चलता कि बच्चे को क्या चाहिए. बिना मांगे भगवान् भी न जाने क्या दे दें. मांगिये क्योंकि कुछ मिल सकताहै और यहाँ तो तपस्या करने की आवश्यकता भी नहीं है.
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गूगल एवं विभिन्न अन्य सूचना तकनीकी आधारित वाणिज्यिक संगठन बहुधा इस मंतव्य के साथ इन्टरनेट उपयोगकर्ताओं से इसी प्रकार के प्रश्न करते देखे जा सकते हैं. उपयोगकर्ता अपनी इच्छा से उन्हें अवगत कराते हैं और बदले में ये संगठन जिस विचार को वास्तविकता में बदलने के लिए चुनते हैं उसके विचारकर्ता को पुरस्कृत करते हैं. विचार जब वास्तविकता का रूप धर कर सामने आता है तो सारा विश्व उसका उपयोग करता है. उदाहरण के लिए कोई भी सामाजिक संपर्क साईट देख लीजिये. इन साईटस के स्वामी संगठन विज्ञापनों के माध्यम से धनार्जन करते हैं.
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आज मैं आपके सन्मुख इसी प्रकार का एक प्रश्न लेकर के उपस्थित हुआ हूँ. अपने देश के सांस्कृतिक गौरव, हिंदी के गौरव या संस्कृत के गौरव के समक्ष सारे विश्व को नतमस्तक करने के लिए क्या आपके मस्तिष्क में कोई विचार है. एक ऐसा मंत्र जो इन्टरनेट जगत में क्रांति ला दे. यह तो सर्वमान्य तथ्य है कि जो इन्टरनेट पर राज करेगा वही विश्व पर भी राज करेगा.
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 मैं ब्रह्मा नहीं, न ही मैं गूगल या कोई बड़ा इन्टरनेट आधारित वाणिज्यिक संगठन हूँ. मैं आप ही की तरह इस महान राष्ट्र का एक अंश मात्र हूँ. आपकी ही तरह मैं भी चाहता हूँ कि हमारा गौरव फिर से स्थापित हो. इसके लिए यत्न करना होगा. हममे से बहुत से लोग हिंदी या संस्कृत विकी को समृद्ध बनाने में लगे हैं. वे महान कार्य कर रहे हैं. जो नहीं कर रहे वे भी करें. अगर संकल्प नहीं कर सकते तो इच्छा ही करें. आपकी इच्छा, आपका विचार, आपका मंत्र इस संसार में परिवर्तन ला सकती है. हिंदी, संस्कृत और भारत को पुनश्च शीर्ष पर आरूढ़ करा सकती है.
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इसलिए हे तात! इच्छा करो और सबको उससे अवगत कराओ. जो समर्थ हैं वे उस इच्छा को फलित करने में अपने सामर्थ्य को लगा देंगे. अगर वर पूरा हुआ तो आपकी बल्ले बल्ले, अगर नहीं हुआ तो कुछ नहीं गया.
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